रांधन छठ की अनसुनी बाते ( Unheard things of Randhan Chhath )

अगस्त महीने को त्योहारों का महीना कहा जा सकता है क्योंकि अगस्त महीने में बहुत से त्योहार आते हैं और लोगों के द्वारा उन्हें खूब धूमधाम से मनाइ जाते हैं। 




अगस्त महीने में आने वाले  त्यौहार जैसे कि हमारा राष्ट्रीय त्योहार 15 अगस्त उसके अलावा भाई बहन का त्यौहार रक्षाबंधन , नागपंचमी, शीतला सातम ,राधंन छठ्ठ और जन्माष्टमी।


इसे कई सारे त्योहार अगस्त के महीने में आते हैं आज हम बात करने वाले हैं जन्माष्टमी के पहले आने वाले राधंन छठ्ठ के बारे में  और उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में तो आइए जानते हैं।  


इस त्यौहार के पीछे मान्यता यह है कि श्री कृष्ण के जन्म के 2 दिन पहले यानी कि षष्टी को उनके भाई बलराम का जन्म हुआ था। 


इस त्यौहार के भारत में अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नाम है।  यह त्यौहार  गुजरात में काफी आस्था से मनाया जाता है। 


गुजरात में इन्हें  रांधन छठ  कहते हैं .


उत्तर भारत में को इस त्यौहार को हल छठ कहते हैं। 


इस पर्व को बहुत से नामों से जाना जाता है जैसे कि तीन छठी,कमरछठ, ललही छठ तिन्नी छठ  इत्यादि।  


इस दिन का विशेष महत्व यह है कि संतानों और बच्चों की रक्षा करने वाली शीतला माता की पूजा अर्चना की जाती है। 


बच्चों के लिए बेहतर स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए इस दिन को बहोत  सी महिला व्रत रखती है। 



मान्यता यह भी है कि यह दिन श्री कृष्ण के भाई बलराम को समर्पित है और जिनका शस्त्र था " हल "  उस कारण हल जोत कर उगाई गई चीजों का सेवन  व्रत ली हुई महिलाएं नहीं करती।


इस दिन महिलाएं हलषष्ठी का व्रत रखती है इस व्रत से वह महिलाएं अपने बच्चों की लिए लंबी आयु मांगती है। 





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